Saturday, November 26, 2011

26/11


26/11


बड़ी कमज़ोर है हमारी यादाश्त
हमारे इरादों की तरह
या फिर बस हमें आदत पड़ गयी है
ऐसे जीने की
जिसके बारे में सब जानते है उस बात का ढिंढोरा पीट कर  बस जिम्मेदार होने का ढोंग करते है
लोकपाल के लिए अनशन हुआ तो रंग दिए पन्ने
भर दी अपनी दीवारें
फिर उसके बाद
कुछ नहीं बस खली बैठ करने लगे इंतज़ार कुछ नए मसाले का
शरद पंवार को चांटा क्या पड़ा लग गयी अन्धो के हाथ बटेर
और हो गए फिर से शुरू
शायद याद भी नहीं होगा मेरे महँ भारत के महान जिम्मेदार नागरिको को आज की तारीख भी
क्या जो गुस्सा जो दर्द जो पीड़ा थी वो क्या बस कुछ दिनों की थी
जब तक कोई नयी खबर नहीं मिली थी
क्या इतनी मोती चमड़ी हो गयी हमारी के फर्क नहीं पड़ता हमें अब
बुरा लगे या भला मैं तो चाहता हू के जब भी कोई आंतकी हमला दुर्घटना या ऐसा कुछ हो तो हर जिम्मेदार आदमी को कोई नजदीकी मारना चाहिए
कम से कम इस तरह उन्हें वो दर्द तो ताउम्र  याद रहेगा
वो गुस्सा तो ठंडा नहीं होगा
इसी के साथ विदा
-वैसे याद दिला दू आज 26/11 है अब भी याद न आये तो जय राम जी की


-yogesh pareek


1 comment:

  1. its really nice one ,,,,but you must take pose ,lines became bit lengthy .

    ReplyDelete