Thursday, October 20, 2011

डायरी के पन्नो से... जिंदगी से एक मुलाकात



जिंदगी से एक मुलाकात 

आज जब आकाश से अमृत बरस रहा था और मैं अपनी धुन में मस्त चलता हुआ उस अमृत को चख रहा था 
तो देखा के इस रूमानी मौसम में भी कोई आंसू बहा रही थी
पास जाकर पुछा कि कौन हो तुम और क्यों आंसू बहा रही हो ?
तो ज़वाब मिला मैं जिंदगी . मैं हंस पड़ा और बोला आज तक किताबों कहानियों में सिर्फ मौत से मिलने वालों के बारे में पढ़ा था ,पर मैं शायद पहला इन्सान हु जो जिंदगी से मिल रहा हूँ.
इस बात पर जिंदगी भी मुस्कुरा दी . मैंने कहा ये तो तुमने मेरे पहले सवाल का ज़वाब दिया के तुम कौन हो अब ये भी बता दो के जिंदगी होके भी तुम अश्क क्यों बहा रही हो ?
इस पर जिंदगी ज़रा संजीदा होते हुए बोली मैं अपने भीतर पूरी दुनिया समाये हु हंसी ख़ुशी सुख दुःख दर्द आराम अपमान सम्मान सब कुछ फिर भी लोग मुझे कोस कर रोते रहते है
 जब उन्हें कुछ न मिले तो रोते है और जब कुछ मिल जाए तो ज्यादा कि चाह में रोते है और बस जिंदगी को कोसते रहते है 
जीना ही भूल चुके है हँसते है तो लगता है कि खुद पर अहसान कर रहे है ,खुद से झूठ बोलते है , खुद से दूर भागते है बिना कारन मुसीबतें पालते है व्यर्थ परेशान होते है.
खुद को पहाड़ों को तोड़ने का हौसलां रखने वाला बताते है पर झूठे रिश्तों झूठे दिखावे के बन्धनों और अपनी खुशियों के बीच आने वाली बेड़ियों को तोड़कर इस खुले आसमान में उड़ने कि हिम्मत उन में नहीं बची .
मन दुःख और परेशानी जिंदगी का एक हिस्सा है पर कमबख्त लोग उस दुःख और परेशानी को ही जिंदगी बना लेते है . रात को अँधेरा मान कर डरने से अच्छा उसे आने वाली सुबह कि दस्तक समझ के खुश भी तो हो सकते है .
रात कितनी भी कलि क्यों न हो उसमे भी चाँद और तारे होते है इसी तरह दुःख कितना भी बड़ा क्यों न हो छोटी छोटी खुशियाँ जिन्हें हम नज़र अंदाज़ करते है वो उस दुःख को कम करने के लिए काफी है पर ये बात आज के समझदारी के पुतलों को कहाँ समझ आती है बस यही सोच कर मैं रो रही हूँ

कुछ पलों तक सोचने के बाद मैंने कहा जिंदगी जब तुम ही बेरंग होकर अपनी नियति पर आंसू बहती रहोगी तो तुम्हे जीने वाले इंसान कैसे खुश रहेंगे जिंदगी हँसेगी तो ये इन्सान भी हंसेगा बस तुम भी मेरी तरह अपने दुःख परेशानी का मजाक बना उन पर हँसना शुरू करदो तो देखो फिर कौन तुम्हे कोसता है 
बस ज़रा सा मुस्कुराकर देखो और मुस्कुराना रोने से कहीं ज्यादा आसान है क्योंकि हंसने में किसी को ख़ुशी देने में ज्यादा सोचना नहीं पड़ता तभी तो मासूम बच्चे हमेशा मुस्कुराते रहते है बस उसी मासूम बच्चे को दिल के किसी कोने में तमाम उम्र रखो और देख के कैसे हर एक गम उसके सामने छोटा हो जाता है 

मेरी बात सुनकर जिंदगी कुछ नहीं बोली और बादलों में कही खो गयी मुझे लगा के मैं शायद हमेशा कि तरह दिन में सपना देख रहा था पर जब रिमझिम बौछार कि तरफ मैं आकाश में देखा तो एक इन्द्रधनुष था जैसे कोई मुस्कुरा रहा हो उस मुस्कुराते इन्द्रधनुष को देख मेरे चेहरे पे भी मुस्कान तैर गयी और मुझे यकीन हो गया के ये सपना नहीं था 

मैं फिर एक बार अपनी धुन में गुनगुनाता हुआ मुस्कुराता हुआ चल पड़ा और अब मेरे साथ जिंदगी भी मुस्कुरा रही थी  


21 -5 -2008  

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