Monday, October 17, 2011

छोटी सी लाइफ बड़ी सी दुनिया

छोटी सी लाइफ, बड़ी  सी दुनिया 
हर शक्ल हर सूरत हर एक चीज़ कह रही कहानियां .
अज़ब है खेल ,बजती है सीटियाँ 
हसीनो को बचने को कहता खुद सांवरियां .

लैम्प पोस्ट में लैम्प नहीं 
घर नहीं तो रिफ्यूजी कैम्प सही
फेस बुक में दुनिया है 
पर असल जिंदगी में कोई दोस्त नहीं 

जीते जी जो करते थे कभी सामने तो कभी पीछे से वार 
आज हम मरें तो सबसे आगे खड़े आंसू बहा रहे 
हाथ में लिए चन्दन  के हार

जो फांकते थे धुल ,घुमते थे टूटी चप्पल में 
आज हर दिन बदल रहे कार पे कार 
जिनकी नहीं कोई दरकार 
बैठ कुर्सी पर वो आज चला रहे सरकार 

दौड़ाने दो मासूमो को इनके सपनो के घोड़े 
क्यों अपन इच्छा थोप बिछाते राह में रोड़े.

सुन कर मेरे ऐसे बोल 
एक सुर में समाज के ठेकेदारों ने दिया मोर्चा खोल 
सच क्यूँ बोला 
मूह क्यूँ खोला ?
कोई इस पागल का प्रबंध करो 
और इसका बड़ा मुंह  बंद करो

भीड़ पने और आती देख भी 
हाउ यूँही डटे रहे 
पर एक बार फिर इस झूठी दुनिया में 
सच के साथ मेरे कपडे भी फट गए 

its very simple to be happy but its really difficult to be simple     

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