मेरी कहानी
एक शाम बैठा था हमेशा की तरह तन्हा अकेला
और याद कर रहा था वो हसीं पल
जो बिताए थे हमने कभी साथ साथ
थे ख्वाब या थी वो हकीकत
जो भी था उस से खूबसूरत न कुछ जिंदगी में है
और ना ही शायद जिंदगी के बाद होगा
कोई जाने या न जाने कोई माने या न माने
पर मैंने जिया है उन लम्हों को
दुनिया तो भरोसा ही नहीं करेगी
और अच्छा ही है के ना करे वो भरोसा मुझ पर
इस तरह उन पलों पर बस मेरा हक होगा
क्या हुआ जो हम मिल ना सके
पर इस बात का गुमाँ है की मिले थे हम भी कभी
और ऐसे मिले थे के शायद ही कोई मिला होगा
वो तेरे पीछे पीछे चलना
तो कभी तेरा हाथ थाम बादलों के पार दौड लगाना
और फिर थक कर एक दूसरे का सहारा ले बैठ जाना
हंफ्हते हुए एक दूसरे को देख कर खिलखिलाना
वो पहाड़ी के मंदिर पे
अपने जूते हाथ में ले चलना
व ठेले पे तेरा गोलगप्पे खाना
और मुझे देख मुस्कुराना
सर्दियों में गर्म चाय की चुस्कियों के बीच
तिब्बत मार्केट से एक जैसी स्वेटर लेना
और पूरी सर्दियाँ उसी स्वेटर में निकाल देना
और सबसे हसीं पल
वो तेरा पाव भाजी खाना और फिर भूल जाना
मुझसे मासूमियत से पूछना क्या मैं कुछ खाया था
वो दुकानों पे शादी के जोड़े देखना
और तुझसे डाँट खाना
और पिचकारी मार मुस्कुराना
सबसे खूबसूरत अकेले तन्हाई में
एक तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहना
और तेरा चोरी से मेरे गालों को चूमकर
शरमाकर भाग जाना
शायद उस खुदा को भी जलन थी मुझसे
तभी तो बस कुछ पल दिए
तेरे साथ बिताने को
पर फिर भी अहसान मानता हू ऐ खुदा तेरा
उन पलो के लिए
मैं नहीं जानता की वो दोस्ती थी या प्यार
पर जो भी था उस से खूबसूरत कुछ भी नहीं
इस दुनिया में
सिवाय तेरे
-दुसरा मलंग
nice one ....
ReplyDeletesuper like..:)
ReplyDelete