शिव "
शिव शंकर ना जाने कहाँ खो गए
पर बाराती तो आज भी नज़र आ जाते है शिव के
हर मोड़ पर हर गली में हर छोर पर
आज के नौजवान भी देखो हलाहल पीकर नीलकंठ बने न बने
पर दम के धुंए में उड़कर खुद को शिव का सच्चा भक्त बनाना नहीं भूले
आज होते शिव तो तांडव करता देखते इस संसार को
शायद तीसरे नेत्र से फिर भस्म ही कर डालते अपने आप को
आज की पार्वती में कहाँ है इतना प्रेम
जो दुर्गम कैलास में रहने वाले से बांधे मन
कहाँ है वो गणेश जो करे शिव पार्वती की परिक्रमा
आज का गणेश तो बस रिद्धि सिद्धि के बीच में ही है रमा
भोले शिव जैसा कौन रहा है अब भोला
इस भोलेपन के पीछे छुपा है बस झूठ फरेब का घिनोना चोला
-दुसरा मलंग
शिव शंकर ना जाने कहाँ खो गए
पर बाराती तो आज भी नज़र आ जाते है शिव के
हर मोड़ पर हर गली में हर छोर पर
आज के नौजवान भी देखो हलाहल पीकर नीलकंठ बने न बने
पर दम के धुंए में उड़कर खुद को शिव का सच्चा भक्त बनाना नहीं भूले
आज होते शिव तो तांडव करता देखते इस संसार को
शायद तीसरे नेत्र से फिर भस्म ही कर डालते अपने आप को
आज की पार्वती में कहाँ है इतना प्रेम
जो दुर्गम कैलास में रहने वाले से बांधे मन
कहाँ है वो गणेश जो करे शिव पार्वती की परिक्रमा
आज का गणेश तो बस रिद्धि सिद्धि के बीच में ही है रमा
भोले शिव जैसा कौन रहा है अब भोला
इस भोलेपन के पीछे छुपा है बस झूठ फरेब का घिनोना चोला
-दुसरा मलंग
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