Nawab ki duniya-i
हर पल खुद से लड़ता तो कभी ज़माने से लड़ता था वो
अपने आप को तलाशता रहता था वो नहीं जनता था के भला है या बुरा
हर वक़्त एक सवाल और उस सवाल के ज़वाब में एक और सवाल
दुसरो की उलझन सुलझाता पर खुद की ही उलझनों में उलझता रहता
राह तो थी पर मंजिल का कोई ठौर ठिकाना नहीं
चाहता ना था किसी का दिल दुखाना फिर भी दुख देता था
करता भी क्या ये दुनिया और इस दुनिया की दुनियादारी कभी पल्ले ही नहीं पड़ी
बस अपनी ही मस्ती में मस्त अपनी ही धुन में गुनगुनाता रहता था
कभी खुद की परवाह नहीं की परवाह की तो सबकी
सबका साथ दिया और जब किसी ने साथ छोड़ा तो उसे भी मुस्कुरा के विदा किया
जब साथ मिला तो दो बात करली नहीं तो अकेले में खुद से ही बात करके अपना जी बहला लिया
नहीं नहीं ये मत सोचना दोस्तों के वो पागल था , वो तो बस ऐसा ही था
फक्कड़ मलंग थोडा सनकी थोडा सिरफिरा
अभी कुछ दिन पहले ही मिला मैं उस से
जब नाम पुचा तो बोला नाम तो याद नहीं पर किसी ने एक बार प्यार से झिडकते हुए नवाब बोला था
तब से यही नाम रख लिया
यहाँ मैं ना कोई कहानी लिख रहा हु ना कोई किस्सा ये तो बस नवाब का नजरिया है जिंदगी से मिलने का
तो लीजिये शुरू करते है दुनिया का आइना हमारे नवाब की नज़र से
पता नहीं क्या है ये दुनिया और इसकी दुनियादारी आज तक समझ नहीं पाया किसी हज़रात को समझ आई हो तो मुझे भी समझा दे
पहले भला था या अब पहले नोर्मल था या अब
मैं दुनिया की तरह नहीं सोचता या दुनिया मेरी तरह नहीं सोचती
ये मेरे अकेले की ही नहीं सबकी प्रोब्लम है
सब परेशां है क्यों परेशां है ये भी नहीं जानते
फिर भी चले जा रहे है
जिंदगी की हसीं लम्हे परेशानी में बिता रहे है
कोई पडोसी की छोकरी से परेशां है तो कोई पडोसी की कमी वाली नोकरी से
सब चल रहा है.. अरे यार चल क्या रहा है भागे जा रहा है तो भागने दो और हम क्यों रोके किसी को भागने से
बचपन से ही सुना था की ये दुनिया गोल है ऊपर आसमान में जाने की औकात नहीं थी जो स्पेस से देख लेते दुनिया की गोलाई
लेकिन गूगल अर्थ की कृपा से हमने भी देख लिया की हमारे मास्टर जी सही थे ये दुनिया तो सही में गोल है
पर दोस्तों ये दुनिया तो तब से गोल है जब मास्टर जी भी नहीं थे हम भी नहीं थे और ना ही थे गूगल
वैसे मैंने भी अपने तरीके से पता लगाया ये दुनिया गोल है
हुआ ये की कुछ सवालो के ज़वाब ढूंढने चला था ज़वाब तो मिला नहीं घूम फिर के वहन आ गया ना ज़वाब मिला ना मन की शांति
अब जब बात शांति की चली है तो ये भी बता ही देते हैं की इस कमबख्त शांति को भी कहाँ कहाँ नहीं तलाशा
और जैसे दुनिया तलाश कर रही है विश्व शांति अलग अलग तरीको से उसी तरह हमने भी अलग अलग शंतियो को तलाशा पर यहाँ भी फूटी किस्मत
किसी शांति को हम नहीं समझ सके तो कोई शांति हमे नहीं समझ सकी
मतलब सौ बात की एक बात अशांति ही रही
जहाँ जहाँ सोचा की ये शांति तो जिंदगी भर साथ चलेगी पर हर बार उनकी गाड़ी बीच राह में ही पंचर नहीं तो किसी और स्वर के साथ रफूचक्कर
अरे यार मैं भी यहाँ क्या अपना दुखड़ा रोने लगा मेरी ये जीवन संगिनी मेरी ये दिअरी भी सोचेगी इसमें नया क्या हर कोई तो अपने दुःख से पार पाना चाहता है तो आपका दोस्त ये फकीर नवाब क्या नया कर रहा है
तो चलो छोडो ये सब बात हम अपनी दुनिया में मस्त रहते है
तो चलो एक किस्सा बताता हु अभी कल ही की बात है राह चलते चलते एक भिखारी दिख गया
अरे अपनी बात नहीं कर रहा मैं भी फक्कड़ और मलंग हु पर अभी तक सड़क पे नहीं आया
तो बात चल रही थी उस भिखारी की तो आपके इस नवाब ने सोचा के क्यों ना इस से बात की जाए क्योकि समझदारो की बात तो इस नवाब को समझ में आती नहीं और इस नवाब की सीढ़ी सच्ची बात सुनके समझदारो की समझदारी बाहेर आ जाती है
ये दोनों ही लफड़े इस भिखारी के साथ नहीं थे उस भिखारी को भी अपनी तरह किसी की परवाह नहीं थी ...
तो मैंने उस से पुछा भाई भगवन ने हाथ पैर दिए तो म्हणत करके क्यों नहीं खाते तो उस भिखारी ने ऐसी बात कहदी की मुझे अपने बरसो से अनसुलझे सवालों के जवाब मिलने शुरू हो गए
उसने कहा देखो भले आदमी ये दुनिया है ना बड़ी अजीब है यहाँ म्हणत करने वाले गरीब मजदूर को पैसा मिले ना मिले खेती करने वाले किसान को पेट भरने को मिले ना मिले पर फ़कीर को हमेशा मिलता है
चाहे वो मेरे जैसा छोटा मोटा भिखारी हो या बड़े बड़े आसन पे बैठ कर धर्म मोक्ष के नाम पे टी. वी. पे बड़ी बड़ी बाते बोलके भीख मांगने वाले
माफ़ करना उस भीख को चढ़ावा कहते है
लोग कर्म कितने भी बुरे करे पर धर्म करने से नहीं चुकते
लो कितनी गहरी बात कह दी उस छोटे से भिखारी ने बिलकुल सही और सीढ़ी बिना किसी लाग लपेट के
तो ये था मेरा जिंदगी से पहली बार दो चार होना
और इसके बाद तो बस सुनते रहो ऐसे ही इस नवाब के अनुभव इस दुनिया और इसकी दुनिया दरी के साथ
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