Tuesday, August 23, 2011

आज के कृष्ण

आज भी जनम लेते है श्री कृष्ण पर अब ना उन्हें परवाह है
कंस के दमन की
ना इच्छा है कालिया के मर्दन की
सारथि बनाना भूल गए
याद नहीं अर्जुन और
बदल गया गीता का सन्देश
अब तो फल की इच्छा पहले होती है
कर्म तो दूसरों से करवाते है
खो गया वो पुरुषार्थ जो अत्याचार और बुराइयों को मिटाने को
रहता था हर क्षण तत्पर
अब तो चक्र भी काम आता है द्रौपदी के वस्त्र हरण को
बस रास रचना ही नहीं भूले अब तक
अगर ये सब झूठ लगे तो देख लो एक नज़र उठा के
अपने भीतर और चारों और
जो आज के कृष्ण है वो ऐसे ही है

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