Wednesday, December 17, 2014

शमशान

हां मुझमे भरा है गुस्सा एक जिंदा शमशान धधकता है ह्रदय में ।
किसलिए?

कोई एक कारण हो तो गिनाऊ
इस सड़े हुए समाज को देख जलता हु
इस देश की दशा देख झुलसता हूँ

लोगो की बेवकूफी दोगलापन नासमझी बेइमानी झूठ फरेब नफरत क्या नहीं है जो इस आग में घी का काम नहीं करता ।
मानव शरीर जो एक प्रतिमा समान था उसे भोग्य वस्तू बना दिया है
मानवता मनुष्यता आदर्श हर एक बात को कचरे के डब्बे में डाल दिया है ।
सच्चाई इमानदारी निश्चल प्रेम जैसी बाते तो जीवन से क्या धीरे धीरे किताबों से भी गायब होती जा रही है ।

देश धर्म समाज अब हमें जोड़ने से ज्यादा तोड़ने का काम कर रहा है ।
पशुओं से भी गए गुजरे लोग धर्म और समाज के ठेकेदार बन नोचने और बेचने में लगे है।

ये सब अगर मेरे गुस्से को जायज़ ठहराने के लिए गर काफी ना हो तो आगे सुनो
पैसा अब परिवार और प्यार से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है
प्यार अब पवित्र नहीं शारीरिक सुख मात्र रह गया है

सिनेमा में किसी के दुःख को देख पलकें गीली होती है पर असल जिंदगी में किसी ज़रूरतमंद की मदद तो दूर उसकी तरफ आँख उठा कर नहीं देखते
दोस्ती भी अब मतलब की ही होती है
को जितना बड़ा मौकापरस्त वो उतना ही समझदार

नारी खुद सांसारिक चमक दमक को पाने के लिए अपनी अस्मिता का सौदा करने से नहीं चूकती ।
धन दौलत झूठी शोशेबाज़ी दिखावा ही जीवन का एक मात्र उद्देश्य बन गया है

पुराने ज़माने में भी राक्षस नराधम होते थे और आज भी है बस अब उनके सींग पूँछ नहीं होते ।
कभी कभी मन करता है की आग लगा दू इस संसार को भस्म कर दूँ संहारक बन इस सृष्टि को।
सब कुछ एक बार फिर शून्य हो जाये
एक नयी शुरुआत हो
पर डर लगता है क्या होगा जब एक नयी शुरुआत के बाद
फिर से सब अच्छा ही होगा या कहीं फिर से सब इसी तरह गर्त में चला गया तो कितनी बार परशुराम बन इस धरा को कोई पापियों से कोई मुक्त कराये

समय साक्षी है परशुराम राम कृष्ण कोई भी हो उन्होंने भी यही सोचकर धरा को पापियों से मुक्त किया था की अब एक नयी शुरुआत होगी

पर आज ना परशुराम है ना कृष्ण ना राम
पर बुराई पाप और गंदगी आज भी है
और अट्टहास कर रही है सच और अच्छाई की नाकामी पर ।

ना जलाने पर ये जग निर्मल होगा ना ये मेरे मन की अग्नि धधकना बंद करेगी

-दूसरा मलंग
एक जगह बहुत से समझदार ज्ञानी लोग चर्चा कर रहे थे
इश्वर की धर्म की तो मैंने सोचा चलो थोड़ी ज्ञान की बाते सुन ले अपने भी काम आएगी ।
तो उनसब की चर्चा का विषय था धर्मान्धता और एक इश्वर
सभी बड़े बढ़ चढ़ कर कह रहे थे ये धर्म के नाम पर होने वाला पागलपन बंद होना चाहिए
लोगो को समझना चाहिए की इश्वर तो एक है
इसी तरह की बाते हो रही थी।
अब ये मलंग ठहरा मूर्ख अज्ञानी तो कर बैठा एक सवाल
मैंने कहा महानुभावों बात तो आप एकदम ठीक कह रहे हो की ईश्वर एक है और ये धर्म के नाम पर होने वाले ढकोसले और लड़ाई दंगे बंद होने चाहिए।
आप सब लोग बुरा ना माने तो एक सुझाव दू?

आप सभी ज्ञानी हो आपकी बात का वजन होता है आपकी बात सभी सुनते है तो क्यों ना आप एक इश्वर का प्रचार करे सब लोगों को पता है की ईश्वर एक है पर प्रोब्लम ये है की लोगों को चाहिए एक नाम एक कहानी इश्वर की तो आप सब मिलकर सोच ले एक इश्वर का नाम और कहानी।

बस इतना बोलना था की उन सब ज्ञानी लोगों का रूप परिवर्तन होने लगा
सबसे पहले हिन्दू वाले ज्ञानी जी के सर पर टीका चोटी प्रकट हुइ जब उन्होंने कहा इसमें कोई दो राय ही नहीं की इश्वर एक है और वो विष्णु के सिवा कोई हो ही नहीं सकता बाकि सब तो उनके अवतार है
इतना कहना था की मुस्लिम ज्ञानी जी का भेस बदल गया कहे का विष्णु इश्वर का कोई रूप नहीं इसलिए अल्लाह के सिवा कोइ और इश्वर हो ही नहीं सकता इसी केसाथ उनके सर पर टोपी और चेहरे पर बड़ी सी ढाढ़ी दिखने लगी

ये सुन कर ईसाई बुद्धिजीवी कहा चुप रहने वाले थे
कहने लगे जीसस के सिवा कोई और इश्वर हो ही नहीं सकता उनके जनम मरण और पुनर्जन्म से साबित होता है की वो इकलौते इश्वर है

इसी तरह सिख यहूदी बौद्ध जैन सब अपने अपने इश्वर को बखान करने लगे और कुछ ही देर में ये समझदारी का चोगा पहने ज्ञानी गली के कुत्तों की तरह एक दुसरे पर झपटने लगे
ये मलंग चुपचाप उठा और सबके झूठे नकाब झोले में डाले और ऊपर आसमान की तरफ देख मुस्कुराया और चल पड़ा थोड़े और नकाब अपने झोले में भरने

- दूसरा मलंग

Thursday, February 28, 2013

God's Own Country ... INDEED

एक बार एक विदेशी था ज ईश्वर पे बिलकुल भी भरोसा नहीं करता था
किसी ने उसे कहा जाओ भारत जाओ वह ऐसा देश है जहाँ जाने से तुम्हे ईश्वर पे भरोसा हो जाएगा
वहाँ इतने ज्ञानी लोग संत महात्मा है वो अपनी बातो से तुम्हे भरोसा दिला देंगे के ईश्वर होते है
तो उन साहब ने सोचा चलो ये भी आजमा लेते है का पता भारत जाने पर भगवन मिल ही जाए
तो वो आया भारत और कुछ महीनो रहा हर तीर्थ गया हर छोटे बड़े महात्मा फ़कीर मौलवी सबसे मिला
फिर अपने देश वापस गया
एअरपोर्ट पे उतारते ही उसके मित्र ने पुछा क्यूँ हुआ भगवान के अस्तित्व पे भरोसा ?

उस व्यक्ति ने अपने भारतीय मित्र को कहा हां अब पूरा भरोसा हो गया ईश्वर और उनके चमत्कार पर
अब से हर इतवार चर्च जाऊंगा
भारतीय मित्र का सीना चौड़ा हो गया ज काम विदेश में बड़े बड़े लोग नहीं कर सके वो भारत की एक यात्रा ने कर दिया . पर एक सवाल भी उठा मन में कैसे हुआ होगा ये परिवर्तन ?
उत्सुकतावश उसने पुछा तुम वहाँ किस से मिले कहाँ गए क्या देखा जिसने तुम्हे बताया की ईश्वर है ?

उस विदेशी ने कहा - मैं बहुत जगह घूमा बहुत से लोगों से मिला और देखा के एक देश जिसमे लोग अपने ही देश का बुरा चाहते है नेता देश की भलाई से ज्यादा अहमियत अपने वोट बैंक और बैंक बलेंस को देते है
जहाँ लोग हर बात पर शोर मचाते है  विरोध प्रकट करने को अपने ही उपयोग में आने वाली सार्वजानिक संपत्ति को नुक्सान पहुचाते है
कही धर्म कही नाम कहीं जाती के नाम से एक दूसरे से लड़ते है
जहाँ के नेता जन प्रतिनीधि देश के दुश्मनों को सम्मान से बुलाते है
हजारों मासूमो के खून से भी जहाँ किसी के कानो जूं तक नहीं रेंगती
खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है फिर भी भ्रष्टाचार विरोधी भीड़ में खड़े नज़र आते है
जहा समस्याएँ रोष क्रांति बस स्टेटस मसेज से बढ़कर कुछ नहीं
जहाँ के युवा भूल गए है अपने अतीत को और भाग रहे है उनके जैसा बनने को जिनकी संस्कृति रीति नीति ही अलग है
हर कोई अपनी असली पहचान खोकर एक भद्दी हास्यास्पद नक़ल बनकर गर्व महसूस करता है

इतना सब होने के बाद भी वो देश चल रहा है इस से बड़ा चमत्कार मैंने आज तक नहीं देखा
और इतना बड़ा चमत्कार ईश्वर ही कर सकता है
इसलिए अब मैं मानता हू ईश्वर है


अब क्या ये भी लिखू के उस विदेशी के भारतीय मित्र को क्या महसूस हुआ ?

वैसे उसने कुछ कहा नहीं पर मुझे लगता है की उस भारतीय मित्र को भी कुछ महसूस नहीं हुआ होगा
जैसे हमें कुछ भी महसूस नहीं होता अपने आस पास की चोटी बड़ी गलत बातों को देखकर

इसी के साथ जय जय

-दुसरा मलंग

Saturday, February 23, 2013

Idiot Individual Speaks- What is Pure


खालिस क्या है जो शत प्रतिशत शुद्ध है बिना किसी मिलावट के
क्या वो प्रेम है क्या वो सच्चाई है क्या वो दोस्ती है क्या वो मान है
नहीं इनमे से कोई भी नहीं
क्या ऐसा प्रेम है जिसमे कोई और विचार ना आया हो कभी
क्या ऐसी सच्चाई है कोई जिसे कभी बनाया संवारा ना हो
क्या कोई मान है ऐसा जो हमेशा नि स्वार्थ भाव से दिया हो
कितना भी कोशिश कर ले ये सब कभी शत प्रतिशत शुद्ध खालिस नहीं होते
रत्ती भर ही सही पर मिलावट होती ही है इन सब में भी

तो फिर खालिस क्या है
सुनने में शायद अजीब लगे पर
नफरत इर्ष्या लालच प्रतिशोध अपमान ये सबसे शुद्ध है
प्रेम में कुछ कर गुजरने को हम एक बार हिचकिचा जाये पर नफरत प्रतिशोध के लिए एक क्षण सोचे बिना भी हम कुछ भी करने को तैयार हो जाते है
सच में मिलावट हो सकती है पर झूठ तो खालिस ही होता है
प्रेम शत प्रतिशत हो ना हो वासना हमेशा शुद्ध होती है उसमे प्रेम की मिलावट कभी नहीं होती
दोस्ती में बराबरी की या द्वेष की मिलावट हो सकती है पर दुश्मनी में नहीं

कितने आश्चर्य की बात है न की हर बुरी बात खालिस होती है और हर अच्छी बात में मिलावट
इसे ही तो कहते है इंसानी फितरत
-दुसरा मलंग

Thursday, February 21, 2013

Idiot Individual speaks


Idiot Individual again....

some time I think are we really literate or have a small amount of common sense
everyday when I log in on Facebook I saw countless Stupid ILLITERATE people
i feel bad when many friends of mine fell into that category.
How?
its very simple every day i see some pictures of God /some fake photo shopped image of cancer patient /picture of a kid who look more like a skeleton or a random pic from some horror movie
and what the say in caption
HIT LIKE and see magic
or
HIT LIKE if you really care for this poor fellow
HIT LIKE and FB donate 10 cent
HIT LIKE = 10/100/1000 salute/ respect
if you don't hit Like you don't respect
or
HIT LIKE and comment 88 and see what happen next
you Idiots don't you know nothing going to happen
no one going to donate anything
or Liking picture of some god will not make your already screwed up life better
and you are so dumb you believe if you HIT LIKE and comment any random number the Static jpg image come to life

are you so dumb who believe in all these crap?

if you don't trust check few pics like the one i mentioned above and see the number of Likes and Comments

-dusra malang