एक बार एक विदेशी था ज ईश्वर पे बिलकुल भी
भरोसा नहीं करता था
किसी ने उसे कहा जाओ भारत जाओ वह ऐसा देश है
जहाँ जाने से तुम्हे ईश्वर पे भरोसा हो जाएगा
वहाँ इतने ज्ञानी लोग संत महात्मा है वो अपनी
बातो से तुम्हे भरोसा दिला देंगे के ईश्वर होते है
तो उन साहब ने सोचा चलो ये भी आजमा लेते है का
पता भारत जाने पर भगवन मिल ही जाए
तो वो आया भारत और कुछ महीनो रहा हर तीर्थ गया
हर छोटे बड़े महात्मा फ़कीर मौलवी सबसे मिला
फिर अपने देश वापस गया
एअरपोर्ट पे उतारते ही उसके मित्र ने पुछा
क्यूँ हुआ भगवान के अस्तित्व पे भरोसा ?
उस व्यक्ति ने अपने भारतीय मित्र को कहा हां अब
पूरा भरोसा हो गया ईश्वर और उनके चमत्कार पर
अब से हर इतवार चर्च जाऊंगा
भारतीय मित्र का सीना चौड़ा हो गया ज काम विदेश
में बड़े बड़े लोग नहीं कर सके वो भारत की एक यात्रा ने कर दिया . पर एक सवाल भी उठा
मन में कैसे हुआ होगा ये परिवर्तन ?
उत्सुकतावश उसने पुछा तुम वहाँ किस से मिले
कहाँ गए क्या देखा जिसने तुम्हे बताया की ईश्वर है ?
उस विदेशी ने कहा - मैं बहुत जगह घूमा बहुत से
लोगों से मिला और देखा के एक देश जिसमे लोग अपने ही देश का बुरा चाहते है नेता देश
की भलाई से ज्यादा अहमियत अपने वोट बैंक और बैंक बलेंस को देते है
जहाँ लोग हर बात पर शोर मचाते है विरोध प्रकट करने को अपने ही उपयोग में आने
वाली सार्वजानिक संपत्ति को नुक्सान पहुचाते है
कही धर्म कही नाम कहीं जाती के नाम से एक दूसरे
से लड़ते है
जहाँ के नेता जन प्रतिनीधि देश के दुश्मनों को
सम्मान से बुलाते है
हजारों मासूमो के खून से भी जहाँ किसी के कानो
जूं तक नहीं रेंगती
खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है फिर भी भ्रष्टाचार
विरोधी भीड़ में खड़े नज़र आते है
जहा समस्याएँ रोष क्रांति बस स्टेटस मसेज से
बढ़कर कुछ नहीं
जहाँ के युवा भूल गए है अपने अतीत को और भाग
रहे है उनके जैसा बनने को जिनकी संस्कृति रीति नीति ही अलग है
हर कोई अपनी असली पहचान खोकर एक भद्दी
हास्यास्पद नक़ल बनकर गर्व महसूस करता है
इतना सब होने के बाद भी वो देश चल रहा है इस से
बड़ा चमत्कार मैंने आज तक नहीं देखा
और इतना बड़ा चमत्कार ईश्वर ही कर सकता है
इसलिए अब मैं मानता हू ईश्वर है
अब क्या ये भी लिखू के उस विदेशी के भारतीय
मित्र को क्या महसूस हुआ ?
वैसे उसने कुछ कहा नहीं पर मुझे लगता है की उस
भारतीय मित्र को भी कुछ महसूस नहीं हुआ होगा
जैसे हमें कुछ भी महसूस नहीं होता अपने आस पास
की चोटी बड़ी गलत बातों को देखकर
इसी के साथ जय जय
-दुसरा मलंग