Sunday, January 29, 2012

मेरा जीवन


बीते कल के सिरहाने पर
सपने आने वाले कल के बुनता हू
पुष्पदल न मिले गर पथ पर
तो काँटों को झोली में भरता हू

भय नहीं आंधी तूफ़ान का
तेज बवंडर  से मन की अग्नि को और हवा देता हू
पाषाणों के भीड़ में रहकर हर पल अपने मन की कर
इंसान होने का सुबूत देता हू

ज़रूरत नहीं किसी नीड़ की
ना झूठी किसी भीड़ की
अकेला अपने पंख फैला
आसमान नापा करता हू

सीधे पथ को छोड़ चूका पीछे
उबड़खाबड़ राहों पर
गीत विजय के गा गाकर
पर्वत लांघा करता हू

ना चाह नाम पाने की
ना डर सरे आम बदनाम होने का 
खोया उसे छोड़ पीछे
पाए को सब में लुटा देता हू

मानव समझो या समझो दानव
गिनो सुरों में या असुरों में
है इतना सत्य का  सामर्थ्य मुझमे 
के झूठे ईश्वर को आँखे दिखा सकता हू
-दुसरा मलंग

Sunday, January 1, 2012

नव वर्ष नव हर्ष

नव वर्ष
नव हर्ष
नूतन जीवन परिभाषा

नए कुछ , कुछ पुराने सपने
कुछ मिले , कुछ बिछड़े अपने

जो बिता उसे कर रहे विदा
कुछ पल भुलाने होंगे
कुछ साथ रहेंगे सदा

कुछ अनकहे शब्द
कुछ अपने , कुछ अपनों के दिए दर्द

आज चले एक नए कल की ओर
थामे बीते कल की डोर